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13 Apr 2024 · 1 min read

दोहा त्रयी. . . .

दोहा त्रयी. . . .

बदल- बदल कर जी रहे, लोग यहाँ किरदार ।
थाली के अनुरूप ही, करते वो व्यवहार ।।

नेक विचारों से करो, अंतस का शृंगार ।
पाप कर्म से मुक्ति का, मिल जायेगा द्वार ।।

राजनीति में आजकल, लोटों की भरमार ।
बात मजे की साथ सब, बेपैंदे के यार ।।

सुशील सरना / 13-4-24

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