मेरी माँ
क्यो डरती हूँ, जब साथ है मेरे मेरी माँ।
एक उंगली पकड़कर मुझे चलना सिखाया,
हाथों में लेकर मुझे झूला झुलाया,
आंखों में कुछ ख्वाब लिए
मुझे बड़ा किया उस पल के लिए।
एक माली बनकर पौधों-सा सींचा,
एक दोस्त बनकर गिरने से बचाया।
काँटों सी राह को आसान बनाया,
भीगे लम्हों को दूर भगाया।
मैं पतझड़ हूँ ,मेरा सावन है माँ।
मैं हूँ अँधियारा मेरा दीपक है माँ।
मेरी मंजिल तू है , तू है मेरा ठिकाना,
तू क्यों ना समझे ,मेरा ये अफ़साना,
बेटी हूँ तेरी कोई गैर नहीं,
एक तू ही ठहरी जिससे कोई बैर नहीं।
बेटी माँ का है सहारा,
तू जानती है,मैं जानती हूँ।
तू ना जाने कितना तुझको मानती हूँ।
तेरे बिना ना कुछ चाहत मेरी,
तुझसे है हर राहत मेरी।
तूने दिया मुझे ये जीवन-दान,
तेरे लिये माँ मेरा जीवन कुर्बान।।