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22 Nov 2018 · 1 min read

माँ

ऐसी है मेरी माँ

माँ केवल शब्द नही अह्सास है
उसका हर शब्द स्वयं इश्वर की आवाज है

माँ कमजोर नही, शक्ति है आग है।जब जलती है तब अग्नि में शुद्ध हुए सोने सी निखरती है संतान ।।

माँ धरा है, जब फलती है फूलती है उपजती है तब पोषित होती है संतान।।

माँ वेद है उपनिषद है माँ गुरु है प्रथम पाठशाला है जहाँ सीखना प्रारंभ करती है संतान ।।

माँ ने मुझे भी हंसना बोलना चलना सम्भलना सहना और लड़ना सीखाया ।
बिना धयय व्यर्थ है जीवन- ये भी उसी ने मुझे बताया ।।

नतमस्तक हो जाती हूँ वही ठहर जाती हूँ घने पेड़ की शीतल छाया सी,
ऐसी है मेरी माँ ।।

ऐसी है मेरी माँ , ऐसी है मेरी माँ ।।

4 Likes · 45 Comments · 723 Views
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