II प्यार की भाषा… II
प्यार की भाषा पढ़ो फिर देखना l
नाम मेरा भी जरा लिख देखना ll
रोते बच्चों को हंसा दो है बहुत l
काबा काशी भी यही तुम देखना ll
क्या हुआ जब टूटता तारा कोई l
टूट कर बिखरा हुआ दिल देखना ll
है पता के काफिया मेरा गलत l
तोड़कर कुछ बंदिशें भी देखना ll
आती है कुछ को कलाकारी यहां l
रात को दिन आप भी कह देखना ll
छा सके जादू तेरा कैसे “सलिल”l
नींद में सपने ही तो फिर देखना ll
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश l