II नजर II
उठाना गिराना गिराकर उठाना ,
हुआ खेल कितना नजर ही नजर में l
वहीं पर रहा हूं वहीं पर रहूंगा,
गिरा ना कभी मैं जो मेरी नजर मेंll
जो तुमने कहा वो तुम्हारी नजर थी ,
जो मैंने किया वो मेरी नजर मे l
न कोई भला है न कोई बुरा है,
जो जैसा भी है तेरी मेरी नजर में l
संजय सिंह “सलील”
प्रतापगढ़ ,उत्तर प्रदेश l