Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Sep 2018 · 1 min read

सच-झूठ

सच कड़वा होता है,जल्दी से हज़्म नहीं होता।
मौन रहना भी मगर,जख़्म पर मरहम नहीं होता।।
झूठ की उम्र छोटी,कभी भूलकर भी मत बोलो।
जान जिस भी झूठ से,सच की बचे सौ बार बोलो।।

गलती का पुतला है,न चाहते हुए भी करेगा।
सज़ा पाकर ही मगर,एक इंसान है सुधरेगा।।
अन्याय पर चक्षु बंद,अन्तर्मन का ही मरना है।
बिल्ली देख क़बूतर,का यह आँख बंद करना है।।

मानव-मानव लड़ता,मानवता की हार यही होती।
दुख में साथी बनना,प्रेम की पुकार यही होती।।
दो मीठे बोल दवा,किसी रोग की बन जाते हैं।
सुनके रोते हर मन,फूलों के सम खिल जाते हैं।।

ऊँच-नीच के काँटें,तनिक निकालकर देखिएगा।
समता के फूल ज़रा,पथ में बिछाकर देखिएगा।।
जीवन रंगीन बने,प्यार की बहार लाइएगा।
जग-उद्यान बनेगा,ख़ुशबू हर कहीं पाइएगा।।

अपना सपना पूरा,औरों की हर आशा टूटे।
यह तो पशुपन होता,मानवता को है जो लूटे।।
अख़बारों की छाती,ख़ून हवस से लिपटी देखी।
कैसे कह दूँ महान,देश की रुहें कपटी देखी।।

देश का पैसा लेकर,विदेशों में भाग जाते हैं।
दो जून भोजन नहीं,कुछ रात में जाग जाते हैं।।
मुर्दा-सी आबादी,क्या ख़ाक मिली है आज़ादी।
रुहों का मिलना नहीं,सोच-सोच की है बर्बादी।।

सपनें नंगे फिरते,मौत विचारों की है होती।
आशा-सागर खारा,यहाँ विश्वास की माँ रोती।।
उपदेश सुगंध लिए,अनुसरण दुर्गंध रहे फैला।
कैसे मिले उजाला,अँधेरे खुदी की रहे चला।।

सोचो आज विचारो,स्वार्थ को खुदी प्रीतम हारो।
एक-दूजे की चाह,सदा रहे बनी यह पुकारो।।
स्याही बिना क़लम का,व्यर्थ ही हो सदा होना है।
मिलजुलकर रहने में,विष भी अमृत का धोना है।।

राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”
————————————

Language: Hindi
1 Like · 268 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from आर.एस. 'प्रीतम'
View all
You may also like:
खतरनाक बाहर से ज्यादा भीतर के गद्दार हैं (गीत)
खतरनाक बाहर से ज्यादा भीतर के गद्दार हैं (गीत)
Ravi Prakash
चरचा गरम बा
चरचा गरम बा
Shekhar Chandra Mitra
Lines of day
Lines of day
Sampada
*दहेज*
*दहेज*
Rituraj shivem verma
*देश का दर्द (मणिपुर से आहत)*
*देश का दर्द (मणिपुर से आहत)*
Dushyant Kumar
मेहनत कड़ी थकान न लाती, लाती है सन्तोष
मेहनत कड़ी थकान न लाती, लाती है सन्तोष
महेश चन्द्र त्रिपाठी
परतंत्रता की नारी
परतंत्रता की नारी
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Bhut khilliya udwa  li khud ki gairo se ,
Bhut khilliya udwa li khud ki gairo se ,
Sakshi Tripathi
फूल सूखी डाल पर  खिलते  नहीं  कचनार  के
फूल सूखी डाल पर खिलते नहीं कचनार के
Anil Mishra Prahari
लीकछोड़ ग़ज़ल / MUSAFIR BAITHA
लीकछोड़ ग़ज़ल / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
कलियों  से बनते फूल हैँ
कलियों से बनते फूल हैँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
शीतलहर
शीतलहर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
... बीते लम्हे
... बीते लम्हे
Naushaba Suriya
सौ बरस की जिंदगी.....
सौ बरस की जिंदगी.....
Harminder Kaur
"मुशाफिर हूं "
Pushpraj Anant
■ आज का क़तआ (मुक्तक) 😘😘
■ आज का क़तआ (मुक्तक) 😘😘
*Author प्रणय प्रभात*
2887.*पूर्णिका*
2887.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शिष्टाचार
शिष्टाचार
लक्ष्मी सिंह
उनकी यादें
उनकी यादें
Ram Krishan Rastogi
शब्द क्यूं गहे गए
शब्द क्यूं गहे गए
Shweta Soni
फीके फीके रंग हैं, फीकी फ़ाग फुहार।
फीके फीके रंग हैं, फीकी फ़ाग फुहार।
Suryakant Dwivedi
महिला दिवस विशेष दोहे
महिला दिवस विशेष दोहे
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
अनुभव
अनुभव
Sanjay ' शून्य'
किसी की लाचारी पर,
किसी की लाचारी पर,
Dr. Man Mohan Krishna
शहर की गर्मी में वो छांव याद आता है, मस्ती में बिता जहाँ बचप
शहर की गर्मी में वो छांव याद आता है, मस्ती में बिता जहाँ बचप
Shubham Pandey (S P)
आलोचक सबसे बड़े शुभचिंतक
आलोचक सबसे बड़े शुभचिंतक
Paras Nath Jha
चांद पर उतरा
चांद पर उतरा
Dr fauzia Naseem shad
ज़मी के मुश्किलो ने घेरा तो दूर अपने साये हो गए ।
ज़मी के मुश्किलो ने घेरा तो दूर अपने साये हो गए ।
'अशांत' शेखर
मानव-जीवन से जुड़ा, कृत कर्मों का चक्र।
मानव-जीवन से जुड़ा, कृत कर्मों का चक्र।
डॉ.सीमा अग्रवाल
बाबू जी की याद बहुत ही आती है
बाबू जी की याद बहुत ही आती है
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
Loading...