ख्वाब में चर्चा
बहुत चर्चा रहती है तेरी,
मेरे इन ख्वाबों में,
आँखें खुलती हैं ,
कोई नहीं होता घर पे ..
.
मुझे याद तो है तेरी अठखेलियाँ,
बहुत लोगों से सुना,
पर तेरी ही है, ये शरारतें,
सिवाय भरोसे, कैसे यकीन करता.
बहुत चर्चा रहती है तेरी,
मेरे इन ख्वाबों में,
आँखें खुलती हैं ,
कोई नहीं होता घर पे ..
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मुझे याद तो है तेरी अठखेलियाँ,
बहुत लोगों से सुना,
पर तेरी ही है, ये शरारतें,
सिवाय भरोसे, कैसे यकीन करता.