किसी से मत कहना
किसी से मत कहना
किसी से मत कहना ……………
कांधे पर सिर रखकर हमने, जो पल तेरे साथ बिताए
तेरी धड़कन जो गीत गाए, गीतों का अदभुत वह राग
अधरों का वह पराग, किसी से मत कहना ……………………
मूक रहे हम दोनों ही, लेकिन संवाद संपादित भाव रहे
तेरी बाहों में जाने कब तक,हम खुद को समेटे खड़े रहे
उस पल की वो बात, किसी से मत कहना …………………..
आँखों ने इन आँखों को देखा , डूब गए प्रेम के सागर में
शब्द खो गए क्या कह पाते, अधखिली मुस्कान थी गागर में
वही रहस्य रहा अज्ञात, किसी से मत कहना …………………..
मिट गई युगों- युगों की दूरी, फिर जो देखे स्वप्न सिंदूरी
एक तृप्ति आत्मा ने पाई, एक संतुष्टि जीवन को भाई
वो संतुष्टि क्षुधा की आज, सभी से तुम कहना …………………..