Daily writing challenge
✍️ (अमूल्य) परवरिश ___
बच्चों को पालना, उन्हें अच्छे व्यवहार की शिक्षा देनाभी पुनीत कार्य है, क्योंकि यह उनका जीवन सुखी बनाता है।
_____ संत रामसुख दास जी 🌹
इस दुनिया में इंसान के लिए, ईश्वर की ओर से, सबसे बेहतरीन सौगात है,उसकी संतान। और एक पिता का बच्चे को सबसे बेहतरीन, जिसका कोई मूल्य नहीं, ऐसा अनमोल #अमूल्य उपहार है, अच्छी परवरिश और शिक्षा। समाज में नैतिकता व जिम्मेदारी के साथ सिर उठाकर जीने लायक बनाना।
ईश्वर तो हमें सबसे अच्छी सौगात दे देता है, पर क्या हम अपने बच्चे को भी बेहतरीन उपहार (अच्छी परवरिश) दे पाते हैं। बच्चों को पालना, उन्हें अच्छे व्यवहार की शिक्षा देना भी पुनीत कार्य है, क्योंकि यह उनका जीवन सुखी बनाता है।
आप बच्चे को अच्छा आध्यात्मिक, स्वस्थ एवं बौद्धिक रूप से समृद्ध नागरिक बनते हुए देखना चाहते हैं, तो आप परवरिश पर ध्यान दीजिए ताकि आपको कोई अफसोस ना रहे।और समाज के लिए भी उत्थान में सहयोगी बनें। बच्चे के शुरुआती पांच से सात वर्ष तक की परवरिश विशेष ध्यान देने योग्य मानी जाती हैं। इस समय की बातें, अच्छी या बुरी, उसके मानस पटल पर अंकित हो जाती हैं। ये बच्चे का भविष्य निर्धारित कर सकती हैं। ईश्वर को धन्यवाद दीजिए कि उन्होंने आपको इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए चुना है, आप मात्र अभिभावक (संरक्षक) हैं, मालिकाना हक जताना क्या ठीक है? केवल आदेश मानने वाले गुलाम ना बनाएं, उन्हें विचााभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होनी चाहिए। बच्चे पर अधिकार ना जमाएं, अच्छे बुरे में भेद समझा कर उसकी उन्नति में सहयोगी बनें। इस तरह बच्चे आपकी बातों को समझेंगे, और सही मार्ग दर्शन पाकर आगे बढ़ेंगे।
ऐसा नहीं है कि हम ही बच्चों को सिखाते हैं, बच्चों से भी हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। प्रेम, त्याग, धैर्य इन सब की अनुभूति, हमें संतान उत्पत्ति के बाद ही महसूस होती है।
__मनु वाशिष्ठ कोटा जंक्शन राजस्थान