ईश्वर दयाल गोस्वामी Poetry Writing Challenge-3 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid ईश्वर दयाल गोस्वामी 3 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल दर्द अब लोरियाँ सुनाता है । जागकर ख़ुद मुझे सुलाता है । छींक फसती है गले में जब भी, कान कहते कोई बुलाता है । दौर चलते हैं जब भी... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 2 175 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 3 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल जो भी हमने किया-धरा है । बीमारी बनकर लौटा है । हुई रश्म़ पूरी निकाह की, मग़र जिस्म आधा-आधा है । चमक रही है काल-कोठरी, छत पर अँधियारा छाया है... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 2 142 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 3 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल दर्द की बूँद न हो रवानी में । नूर आता नहीं कहानी में । उसका हँसना मजाक ही होगा, आँख डूबी नहीं जो पानी में । मूछ सूखी पै ताव... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 3 140 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 3 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल रद़ीफ़ो का ही सिलसिला कहते-कहते । ग़ज़ल रुक गई काफ़िया कहते-कहते । कि संसद से सड़कों,गली औ' घरों तक, हवा थम गई वाक़या कहते - कहते । बुराई ने मुझको... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 2 97 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 3 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल ज़िन्द़ग़ी के सुर मिलाते जाइए । बेवज़ह ही गुनगुनाते जाइए । ग़र नहीं सुनता है कोई ग़म नहीं, फालतू ही बड़बड़ाते जाइए । आइए मिलिए मग़र कुछ दूर से, यह... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 2 92 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 3 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल जो इधर की उधर नहीं होती । बात वो पुरख़तर नहीं होती । रहनुमा की करे तरफ़दारी, छप गई , पर ख़बर नहीं होती । रोज़ मैं जार - जार... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 2 96 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 3 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल कि इस घर के आगे मकाँ और भी हैं । अभी आपके इम्तिहाँ और भी हैं । उचित भाव से दे दो सामाँ, वग़रना हमारे शहर में दुकाँ और भी... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 2 88 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 3 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल नीलगगन जो छाया-छाया होता है । धरती ने वो बोझ उठाया होता है । भावनाएँ तो मिलती हैं पूरी लेकिन, थोड़ा-सा संकोच हटाया होता है । ख़ुद का साया तेरे... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 80 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 3 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल खौफ़ का इस कदर असर क्यूँ है ? सहमा-सहमा-सा ये नगर क्यूँ है ? लोग कटते हैं , लोग मरते हैं, मुल्क़ फिर भी अजर-अमर क्यूँ है ? जबकि फैली... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 82 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 3 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल खीझ रिश्तों के दरमियाँ क्यों है ? आदमी आज बद - जुवाँ क्यों है ? बहकी-बहकी-सी दिख रही धरती, मचला-मचला-सा आस्माँ क्यों है ? भूख खाकर के मस्त हैं बच्चे,... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 106 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 3 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल अदब का दबदबा क्या है ? ग़ज़ल का मत्-लआ क्या है ? म़रद़्द़फ़ ग़ैर हो जो , वो , ग़ज़ल का काफ़िया क्या है ? ब़ह़्र की कैफ़ियत कितनी ,... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 98 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 3 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल फल रही है अजाब की दुनिया । सूखती है सवाब की दुनिया । कोई काँटा उन्हें नहीं चुभता, जी रहे जो बनाब की दुनिया । आब में भी है एक... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 95 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 3 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल नज़र ही नज़र है , नज़र हर तरफ़ है । भँवर ही भँवर है , भँवर हर तरफ़ है । यहाँ रात-दिन,रोज़ आठों पहर तक, सफ़र ही सफ़र है ,... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 92 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 3 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल जात को तो छोड़िए बदजात भी बाकी नहीं । आदमी में आदमी - सी बात भी बाकी नहीं । मान,मर्यादा, हया औ' कायदा सब बिक रहा, और पुरखों की कोई... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 130 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 3 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल सिर्फ़ उल्फ़त में सब नहीं आता । पहले आता था अब नहीं आता । यूँ तो गुस्सा मेरा तुम्हीं पर है, तुम जो आते हो तब नहीं आता । कोई... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 85 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 3 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल इधर मुरझाए हैं पत्ते, उधर खिलती कली भी है । कहीं है खुरदरी धरती, कहीं जाकर लिपी भी है । हमारे प्यार का आँगन उखड़ता-सा दिखे है जो, इसी पर... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 121 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 3 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल रोज़ जो आग हम जलाते हैं । रोज़ वो आग हम बुझाते हैं । आदमी चीज़ जो बनाते हैं । आदमी ही उसे मिटाते हैं । कोई दानिश अलग नहीं... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 2 116 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 3 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल वो करीने से काम लेता है । गिर रही चीज़ थाम लेता है । दोस्ती, प्यार या वफ़ा कहके, आदमी इन्तिकाम लेता है । वक्त ठहरा नहीं कभी पीछे, आगे... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 2 111 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 3 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल बिन गरज का एक भी नाता नहीं । आदमी को आदमी भाता नहीं । बेसुरी है जिंदगी की मौसिकी, गीत मीठे अब कोई गाता नहीं । आपदाओं के निमंत्रण हैं... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 2 82 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 3 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल बेवफ़ा से वफ़ा ज़रूरी है । ख़ूबसूरत खता ज़रूरी है । दर्द को और तेज जो कर दे, कोई ऐसी दवा ज़रूरी है । सारी पहचान भूलकर,केवल खुद को पहचानना... Poetry Writing Challenge-3 1 97 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 3 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल जिंदगी उतनी ही हमारी है । आपके साथ जो गुज़ारी है । शा'इरी है मेरे लिए मंदिर, और उसका ये दिल पुजारी है । लोग बेकार शक किया करते, रूह... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 2 104 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 3 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल बादलों को हटाया । चाँद फिर मुस्कुराया । आस का इक सितारा, आज फिर टिमटिमाया । झूठ सच, सच है झूठा, धन्य है तेरी माया । जो कोई कर न... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 81 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 3 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल घृणा का हर ज़गह साया पड़ा है । हवाओं में जहर का जायका है । बिना आधार ही सब बोलते हैं, 'पते की बात' का किसको पता है ? पलटकर... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 3 102 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 3 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल वक़्त रहते कहा नहीं होता । तो ये कचरा हटा नहीं होता । हो इरादा अगर खरा तो फिर, काम कोई बुरा नहीं होता । इतने धोखे अगर नहीं होते,... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 131 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 3 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल दे रहे लफ्ज़ यूँ खलल शायद ! हो रही हो कोई ग़ज़ल शायद ! फूट निकले हैं आज झरने-से, अश्क़ पानी में गए ढल शायद ! यूँ लगे जैसे आज... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 2 111 Share