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3 May 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

बिन गरज का एक भी नाता नहीं ।
आदमी को आदमी भाता नहीं ।

बेसुरी है जिंदगी की मौसिकी,
गीत मीठे अब कोई गाता नहीं ।

आपदाओं के निमंत्रण हैं बहुत,
वक्त अच्छी-सी ख़बर लाता नहीं ।

हैं अभी भी आदमी ऐसे बहुत,
बैंक में जिनका कोई खाता नहीं ।

है समस्या की नदी लंबी बहुत,
छोर जिसका कोई भी पाता नहीं ।

दर्द का मेहमान आया दूसरा,
और पहले का अभी जाता नहीं ।

००००
— ईश्वर दयाल गोस्वामी

Language: Hindi
2 Likes · 27 Views
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