Manisha Manjari Poetry Writing Challenge-3 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Manisha Manjari 12 May 2024 · 1 min read सुनहरे झील पर बुझते सूरज से पूछो। सुनहरे झील पर बुझते सूरज से पूछो, यादें लहरों की उसे सताती हैं क्या? जमीं पर फैली घास की कोपलों से पूछो, फ़ना होने वाली ओस की बूँदें रुलाती हैं... Poetry Writing Challenge-3 · Manisha Manjari · कविता · मनीषा मंजरी 1 64 Share Manisha Manjari 12 May 2024 · 1 min read वो दूरियां सात समंदर की, तो तुम पार कर आये। वो दूरियां सात समंदर की, तो तुम पार कर आये, पर अब ये फ़ासले जन्मों के, तू भी कैसे मिटाये? ये स्याह बादल भी ठहर कर, कुछ ऐसे हैं छाये,... Poetry Writing Challenge-3 · Manisha Manjari · कविता · मनीषा मंजरी 1 60 Share Manisha Manjari 12 May 2024 · 1 min read आदतों में जो थी आवाजें। आदतों में जो थी आवाजें, वो मौन में समा गयीं, आहटें जो रहती थी नियमित, शून्यता के हिस्से में आ गयीं। मीठी धूप की थी शिरकतें, काली घटा भरमा गयी,... Poetry Writing Challenge-3 · Manisha Manjari · कविता · मनीषा मंजरी 1 78 Share Manisha Manjari 12 May 2024 · 1 min read वो गुलमोहर जो कभी, ख्वाहिशों में गिरा करती थी। वो गुलमोहर जो कभी, ख्वाहिशों में गिरा करती थी, अब तो बस ख़्वाबों की दहलीज पर बिखरती है। मुस्कुराती शामें जो सतरंगी आसमां तले बातों में गुजरती थी, अब अंतहीन... Poetry Writing Challenge-3 · Manisha Manjari · कविता · मनीषा मंजरी 1 49 Share Manisha Manjari 12 May 2024 · 1 min read बिखरे सपनों की ताबूत पर, दो कील तुम्हारे और सही। बिखरे सपनों की ताबूत पर, दो कील तुम्हारे और सही, जख्मों से सुन्न पड़े इस मन पर, चीख इल्जामों के और सही। सुखे अश्रु से भरे नैनों में, पीड़ा की... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · मनीषा मंजरी 74 Share Manisha Manjari 12 May 2024 · 1 min read मुझे मुझसे हीं अब मांगती है, गुजरे लम्हों की रुसवाईयाँ। सर्द आसमां में दिखती हैं, अधूरे चाँद की अंगड़ाईयाँ, टूटे तारों में बसती हैं, ठहरे मन्नतों की गहराईयां। अक्स सुलझा नहीं पाती हैं, खुद से पूछती अबूझ पहेलियाँ, ताँ उम्र... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · मनीषा मंजरी 44 Share Manisha Manjari 12 May 2024 · 1 min read ये शिकवे भी तो, मुक़द्दर वाले हीं कर पाते हैं। ये शिकवे भी तो, मुक़द्दर वाले हीं कर पाते हैं, बेचैनियों को शब्द, कहाँ अब भाते हैं। ये कोरे अश्क जो, मन को हल्का कर जाते हैं, पलकें पलों में,... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · मनीषा मंजरी 49 Share Manisha Manjari 12 May 2024 · 1 min read ये यादों की किस्तें जाने कबतक रुलायेंगी। ये यादों की किस्तें जाने कबतक रुलायेगी, क्या जीवन सफर में हमराही बन मृत्यु तक साथ निभाएंगी। जज़्बातों की चिलचिलाती धूप, रूह के पाँव जलाएंगी, या वक़्त की ठंडी छाँव,... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · मनीषा मंजरी 65 Share Manisha Manjari 12 May 2024 · 1 min read मोहब्बत पलों में साँसें लेती है, और सजाएं सदियों को मिल जाती है। मोहब्बत पलों में साँसें लेती है, और सजाएं सदियों को मिल जाती है, दिल के सुकूं की क़ीमत, आँखें आंसुओं की किस्तों से चुकाती है। बातों की चाहतें जगती हैं,... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · मनीषा मंजरी 1 43 Share Manisha Manjari 12 May 2024 · 1 min read हाँ, ये आँखें अब तो सपनों में भी, सपनों से तौबा करती हैं। इस क्षितिज का चाँद, जब भी अक्स से मेरे आ मिलता है, दर्द भरी आँखों में, सुकून का एक पल खिलता है। सहलाती हैं हवाएं, परछाइयों को मेरे कुछ इस... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · मनीषा मंजरी 42 Share Manisha Manjari 12 May 2024 · 1 min read वो ख़्वाहिशें जो सदियों तक, ज़हन में पलती हैं। वो ख़्वाहिशें जो सदियों तक, ज़हन में पलती हैं, अब शब्द बनकर, बस पन्नों पर बिखरा करती हैं। वो मुस्कुराहटें जो, मासूम सी आँखों में कभी बसती हैं, अब बूँदें... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · मनीषा मंजरी 62 Share Manisha Manjari 12 May 2024 · 1 min read संदेशे भेजूं कैसे? संदेशे भेजूं कैसे, पता तेरा बेपता अब हो गया है, शब्दों की स्याही चलाऊं कहाँ, जब कागज़ का नामोंनिशां मिट गया है। वेदना भरे आंसूं गिराऊं कहाँ, स्नेहिल चादर हीं... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · मनीषा मंजरी 39 Share Manisha Manjari 12 May 2024 · 1 min read जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए। जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए। खामोशी में एक चीख़ उठा करती है, एहसासों में एक तीर चुभा करती है। मुद्दतों बाद... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · मनीषा मंजरी 71 Share Manisha Manjari 12 May 2024 · 1 min read तृष्णा उस मृग की भी अब मिटेगी, तुम आवाज तो दो। ठहरे क़दमों को भी राहें ढूंढ लेंगी, तुम आवाज तो दो, पत्थरों को भी धड़कनें नई मिलेंगी, तुम आवाज तो दो। सवेरों में सूरज की रौशनी खिलेगी, तुम आवाज तो... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · मनीषा मंजरी 39 Share Manisha Manjari 12 May 2024 · 1 min read काश थोड़ा सा वक़्त, तेरे पास और होता। काश थोड़ा सा वक़्त, तेरे पास और होता, बातें कम होती तो क्या, एहसास और होता। उन आँखों में अपनेपन का दीदार और होता, संघर्ष भरी राहों में, तेरा साथ... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · मनीषा मंजरी 68 Share Manisha Manjari 12 May 2024 · 1 min read कभी वैरागी ज़हन, हर पड़ाव से विरक्त किया करती है। कभी लगता है ये ज़िन्दगी सफर में बीत जाए, कभी एक घर की तलब सी जगती है। कभी फिजायें चाहती हैं, स्वछंदता साँसों में घुल जाए, कभी आस आँगन की,... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · मनीषा मंजरी 51 Share Manisha Manjari 12 May 2024 · 1 min read संघर्षशीलता की दरकार है। आँखों के आगे हैं उजाले, पर छा रहा अंधकार है, भय ने है पंख पसारे, और उम्मीदें हुईं तार-तार है। बोझिल हो रही हैं साँसें, पर अश्रु पर बैठा पहरेदार... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · मनीषा मंजरी 42 Share Manisha Manjari 12 May 2024 · 1 min read खुद के ताबूत से हीं, खुद को गवां कर गए। साहिलों को पाने की चाह में तूफां से हम टकरा गए, खुशियाँ जो किस्तों में आती थी, उसे भी गवां गए। थी चाहत की मरुभूमि में, एक पल की छाँव... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · मनीषा मंजरी 42 Share Manisha Manjari 12 May 2024 · 1 min read इंतज़ार एक दस्तक की। इंतज़ार एक दस्तक की, उस दरवाजे को थी रहती, चौखट पर जिसकी धूल, बरसों की थी जमी हुई। निगाहें धरती की, उस आसमान को थी निहारती, बारिशों ने, जिसके बादलों... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · मनीषा मंजरी 66 Share Manisha Manjari 12 May 2024 · 1 min read कल्पित एक भोर पे आस टिकी थी, जिसकी ओस में तरुण कोपल जीवंत हुए। रात्रि के गहन पहर में, गति श्वासों की मंद हुई, स्याह नयनों में मेघ थे छाये, आस के मोती स्वच्छंद हुए। जीवन के इस चंचल छल में, मृत्यु मस्त मलंग... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · मनीषा मंजरी 38 Share Manisha Manjari 12 May 2024 · 1 min read सिसकियाँ जो स्याह कमरों को रुलाती हैं। सिसकियाँ जो स्याह कमरों को रुलाती हैं, मुस्कराहट बन लोगों को उलझाती हैं। धाराशाही होते हैं अश्क बस अपने हीं दामन में, और सूखे नज़रों की तल्ख़ आँखों को भरमाती... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · मनीषा मंजरी 39 Share Manisha Manjari 12 May 2024 · 1 min read अनन्तता में यादों की हम बिखर गए हैं। ये कालिमा कैसी है, जिसमें तारे भी विलीन हो गए हैं, अँधेरा है ये अंतरिक्ष का या दीये मन के बुझ गए हैं। इंद्रधनुष है ये कैसा, रंग जिसके मिट... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · मनीषा मंजरी 40 Share Manisha Manjari 12 May 2024 · 1 min read मसान। तेरी श्वासों संग जुड़ी थी मृदुता मेरी, पर अब ये हृदय पाषाण हो चला। दो बूँद को आकुल आँखें हुई है मेरी, यूँ अश्रु ने बंजरता के मर्म को छुआ।... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · मनीषा मंजरी 46 Share Manisha Manjari 12 May 2024 · 1 min read ये खामोशियाँ मुझको भाने लगीं हैं। ये खामोशियाँ मुझको भाने लगीं हैं, मन के शोर से दूर ले जाने लगीं हैं। कश्तियाँ बवंडरों को भटकाने लगीं हैं, लहरों की सादगी से रिश्ता निभाने लगीं हैं। ये... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · मनीषा मंजरी 45 Share Manisha Manjari 12 May 2024 · 1 min read निःशब्दिता की नदी बहने दो निःशब्दिता की नदी में, समंदर शोर का मुझे भाता नहीं है, रहने दो ठहराव के इस दलदल में, सूखी जमीं का वेग साथ निभाता नहीं है। बिखरने दो... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · मनीषा मंजरी 65 Share