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25 posts
सुनहरे झील पर बुझते सूरज से पूछो।
सुनहरे झील पर बुझते सूरज से पूछो।
Manisha Manjari
वो दूरियां सात समंदर की, तो तुम पार कर आये।
वो दूरियां सात समंदर की, तो तुम पार कर आये।
Manisha Manjari
आदतों में जो थी आवाजें।
आदतों में जो थी आवाजें।
Manisha Manjari
वो गुलमोहर जो कभी, ख्वाहिशों में गिरा करती थी।
वो गुलमोहर जो कभी, ख्वाहिशों में गिरा करती थी।
Manisha Manjari
बिखरे सपनों की ताबूत पर, दो कील तुम्हारे और सही।
बिखरे सपनों की ताबूत पर, दो कील तुम्हारे और सही।
Manisha Manjari
मुझे मुझसे हीं अब मांगती है, गुजरे लम्हों की रुसवाईयाँ।
मुझे मुझसे हीं अब मांगती है, गुजरे लम्हों की रुसवाईयाँ।
Manisha Manjari
ये शिकवे भी तो, मुक़द्दर वाले हीं कर पाते हैं।
ये शिकवे भी तो, मुक़द्दर वाले हीं कर पाते हैं।
Manisha Manjari
ये यादों की किस्तें जाने कबतक रुलायेंगी।
ये यादों की किस्तें जाने कबतक रुलायेंगी।
Manisha Manjari
मोहब्बत पलों में साँसें लेती है, और सजाएं सदियों को मिल जाती है।
मोहब्बत पलों में साँसें लेती है, और सजाएं सदियों को मिल जाती है।
Manisha Manjari
हाँ, ये आँखें अब तो सपनों में भी, सपनों से तौबा करती हैं।
हाँ, ये आँखें अब तो सपनों में भी, सपनों से तौबा करती हैं।
Manisha Manjari
वो ख़्वाहिशें जो सदियों तक, ज़हन में पलती हैं।
वो ख़्वाहिशें जो सदियों तक, ज़हन में पलती हैं।
Manisha Manjari
संदेशे भेजूं कैसे?
संदेशे भेजूं कैसे?
Manisha Manjari
जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए।
जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए।
Manisha Manjari
तृष्णा उस मृग की भी अब मिटेगी, तुम आवाज तो दो।
तृष्णा उस मृग की भी अब मिटेगी, तुम आवाज तो दो।
Manisha Manjari
काश थोड़ा सा वक़्त, तेरे पास और होता।
काश थोड़ा सा वक़्त, तेरे पास और होता।
Manisha Manjari
कभी वैरागी ज़हन, हर पड़ाव से विरक्त किया करती है।
कभी वैरागी ज़हन, हर पड़ाव से विरक्त किया करती है।
Manisha Manjari
संघर्षशीलता की दरकार है।
संघर्षशीलता की दरकार है।
Manisha Manjari
खुद के ताबूत से हीं, खुद को गवां कर गए।
खुद के ताबूत से हीं, खुद को गवां कर गए।
Manisha Manjari
इंतज़ार एक दस्तक की।
इंतज़ार एक दस्तक की।
Manisha Manjari
कल्पित एक भोर पे आस टिकी थी, जिसकी ओस में तरुण कोपल जीवंत हुए।
कल्पित एक भोर पे आस टिकी थी, जिसकी ओस में तरुण कोपल जीवंत हुए।
Manisha Manjari
सिसकियाँ जो स्याह कमरों को रुलाती हैं।
सिसकियाँ जो स्याह कमरों को रुलाती हैं।
Manisha Manjari
अनन्तता में यादों की हम बिखर गए हैं।
अनन्तता में यादों की हम बिखर गए हैं।
Manisha Manjari
मसान।
मसान।
Manisha Manjari
ये खामोशियाँ मुझको भाने लगीं हैं।
ये खामोशियाँ मुझको भाने लगीं हैं।
Manisha Manjari
निःशब्दिता की नदी
निःशब्दिता की नदी
Manisha Manjari
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