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चुनना केवल तुमको है""
Priya Maithil
जब हृदय में ..छटपटा- जाती.. कोई पीड़ा पुरानी...
Priya Maithil
सारी उपमा
Priya Maithil
मंजिल खुद अश्रु - सिक्त हुई ..
Priya Maithil
घने तिमिर में डूबी थी जब..
Priya Maithil
कटा के ये पर आसमां ढूंढ़ती है...
Priya Maithil
दीवारें....., सिर्फ घरों में नहीं होती
Priya Maithil
"नन्हे" ने इक पौधा लाया,
Priya Maithil
जीवन की राहें पथरीली..
Priya Maithil
हां ख़ामोश तो हूं लेकिन.........
Priya Maithil
पग - पग पर बिखरा लावा है
Priya Maithil
मोही हृदय अस्थिर, व्यथित
Priya Maithil
दीप जलाया है अंतस का,
Priya Maithil
जिस ओर उठी अंगुली जगकी
Priya Maithil
दुर्बल तुम केवल मन से हो
Priya Maithil
कहने वाले बिल्कुल सही कहा करते हैं...
Priya Maithil
ज़िन्दगी भी हाल अपना देख कर हैरान है
Priya Maithil
वो जो करीब थे "क़रीब" आए कब..
Priya Maithil
लोग अपनी हरकतों से भय नहीं खाते...
Priya Maithil
मैं कविता नहीं लिखती
Priya Maithil
खुद से है दूरी मीलो की...
Priya Maithil
सब जाग रहे प्रतिपल क्षण क्षण
Priya Maithil
हृदय बड़ा उद्विग्न है..
Priya Maithil
जिस अंधकार से विचलित तुम
Priya Maithil
उन्मादी चंचल मन मेरे...
Priya Maithil