महेश चन्द्र त्रिपाठी Poetry Writing Challenge-2 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read चमत्कार होते न अचानक चमत्कार होते न अचानक, यत्न किए जाते हैं। पनस समान मनुष्य सुफल का, सौरभ फैलाते हैं।। वाग्वीर नेता पाटल सम, जन-मन मोहित करते। शिक्षक-कृषक रसाल सदृश बन, ज्योति जगत में... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 112 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read संशय ऐसा रक्तबीज है संशयात्मा के विनाश का, सूत्र मोद मन में भरता है। संशय ऐसा रक्तबीज है, जो न मारने से मरता है।। कैकेयी अम्बा के उर का, संशय वन भेजता राम को।... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 75 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read ईश्वर में आसक्ति मोक्ष है ईश्वर में आसक्ति मोक्ष है, गुणासक्ति बंधन कहलाती। गुणातीत जीवन जीते जो, मुक्ति उन्हें भी है मिल जाती।। सत-रज-तम इन तीन गुणों से, जो जन ऊपर उठ जाते हैं। माया... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 146 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read भक्त जन कभी अपना जीवन भक्त जन कभी अपना जीवन, व्यर्थ नहीं खोते हैं। उनका कर्म वही है जिससे, प्रभु प्रसन्न होते हैं।। जब तक मन बलवान जगत से, नाता कभी न टूटे। मन पर... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 142 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read काम वात कफ लोभ... काम वात, कफ लोभ, क्रोध को, पित्त कहा जाता है। रोग दूर करने में सद्गुरु, वैद्य काम आता है।। वात-पित्त-कफ तीनों से ही, मानव जीवन पाता। तीनों का सन्तुलित समन्वय,... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 93 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read आने वाला आएगा ही आने वाला आएगा ही, जाने वाला जाएगा। कोई रोक न सका किसी को, कोई रोक न पाएगा।। जो जाने वाला है उसकी, हॅंसकर करें विदाई हम। आने वाले का स्वागत... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 93 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read बच्चा बच्चा बने सपूत सब मिल करें प्रयास अकूत बच्चा बच्चा बने सपूत बच्चों के हित समय निकालें उनकी जायज मांग न टालें रोग कुपोषण से रक्षा कर करें प्रदान उन्हें बल—बूत घृणा द्वेष... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 92 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read फिर कोई मिलने आया है फिर कोई मिलने आया है आशा की उर्वरा धरा पर फिर कोई तरु मुसकाया है साँस साँस सरगम सी गुंजित करती हृदय सिंधु आलोड़ित उर उपवन की कोई कलिका नहीं... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 130 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read जय जगन्नाथ ! जय जगन्नाथ !! जय जगन्नाथ ! जय जगन्नाथ !! तव चरणों में झुक जाते हैं अनुदिन अनुक्षण अनगिनत माथ तुम जगपालक ! जगउद्धारक !! तुम जगसर्जक ! जगसंहारक !! तुम दीनबंधु ! करुणानिधान... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 105 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 2 min read करते हैं जब यत्न नारियल के रेशों को बटकर, हम रस्सी मजबूत बनाते। करते हैं जब यत्न तभी तो, पय से घी निकाल हम पाते।। यत्न करें तो कुछ न असम्भव, कठिन काम भी... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 106 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read चिन्तन के पार चला अब मैं चिन्तन के पार चला तज कर मनुहार दुलार चला अपमान मान से ऊपर उठ, लो जीती बाजी हार चला। अब फिक्र न रही पराभव की टूटे त्रिशूल या... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 74 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read बासठ वर्ष जी चुका बासठ वर्ष जी चुका, जाने कितने वर्ष और है जीना जाने कितने विष के प्याले मुझको अभी और है पीना जन्मा जाने कहां, किस तरह शैशव बचपन गया बिताया कहां-कहां... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 79 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 2 min read कविता कविता दिखती है कविता कवि की कलम पकड़कर, खुद को लिखती है। तब ही, केवल तब ही, कविता, कविता दिखती है।। कविता कवि के धर्म-कर्म में, जीवन में होती। कविता कवि के साथ-साथ... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 109 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read पूज्य पिता की पुण्यतिथि आज पुण्यतिथि पूज्य पिता की, दिनभर याद रही आती उनके शुभाशीष से ऊर्जा, मेरी कलम रही पाती उनके साथ तीर्थयात्राएं, की हैं मैंने बहुतेरी एकादश ज्योतिर्लिंगों की, उनके साथ हुई... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 1 117 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read ग़लती करना प्रकृति हमारी गलती करना प्रकृति हमारी, संस्कृति है कर लें स्वीकार अनुदिन प्रगति हमारी होगी, यदि गलती का करें सुधार अपनी गलती के कारण यदि, लगे किसी के दिल पर चोट हमें... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 73 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read करना कर्म न त्यागें कर्म अनादि, वेद प्रतिपादित, करना कर्म न त्यागें कर्मभूमि में युद्ध करें हम, होकर विमुख न भागें कर्मवीर जो कर्मनिरत रह, त्याग फलाशा देते उनसे लोग प्रेरणा पाते, सीख निरन्तर... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 97 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read आओ फिर से नेता सुभाष नेता सुभाष आओ फिर से आओ फिर से नेता सुभाष हम राष्ट्रीयता जुनून लिये उर में भावना-प्रसून लिये रग-रग में रमता खून लिये दुर्दानवता के दलन हेतु हम चाह रहे... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 64 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read है कर्तव्य हमारा मायावी को माया से ही, सदा जा सका मारा। उद्धत के सॅंग उद्धत होना, है कर्तव्य हमारा।। क्रोधी को अक्रोध से जीतें, दुर्मुख को समझाएं। दान कृपण को दें, झूठे... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 83 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read सच्चे प्रेमी कहलाते हैं निर्हेतुक निष्काम निरन्तर, प्रेमपंथ पर चलने वाले सच्चे प्रेमी कहलाते हैं, राह न कभी बदलने वाले आज यहां कल वहां भटकते, वे न कभी मंजिल पाते हैं प्रेममार्ग से सदा... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 149 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read नित्य ईश की सत्ता है यह दुनिया दुखमय अनित्य है, नित्य ईंश की सत्ता है। उसकी इच्छा बिना न हिलता, तरु का कोई पत्ता है।। उसको जहाॅं बुलाओ आता, वह समीप है दूर वही। वह... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 98 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read जीना होता आज मौज मनाएं नाचें गाएं, कर लें मन के काज मौत हमेशा कल होती है, जीना होता आज कुछ न बिगाड़ें कभी किसी का, करें सभी का मान कर्म करें ऐसे... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 87 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read मैं राग भरा मधु का बादल मैं राग भरा मधु का बादल देता दुनिया को संस्पन्दन पा रहा अहर्निश अभिनन्दन मेरे अवनी पर आने की हैं बाट जोहते मन-मरुथल संगीत -सिक्त मेरा गर्जन सुन पुलकित उपवन-उर-आनन... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 147 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read चलो गीत गाएं पानी में जीवन है, आंसू में गीत चलो गीत गाएं हम, लें जग को जीत मिले नहीं पानी तो करें अश्रुपान सत्कर्म कर बढ़ाएं भारत की शान सहन करें आतप... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 108 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read मार न सकता कोई वह मरने से डरता जिसकी, प्रज्ञा रहती सोई। जिसको जीना आता उसको, मार न सकता कोई।। उसे न बाधा-विघ्न सताते, जो हॅंसहॅंसकर जीता। मरना उसे न दुख देता जो, सुधा... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 159 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read जीवन है परिवर्तनशील धर्म नित्य, सुख- दुख अनित्य है, जीवन है परिवर्तनशील। अभय रहें जब तक जीवन है, पकड़े रहें ज्ञान की कील।। सर्वभूतहित कर्म करें सब, रहें बढ़ाते सात्विक कोष। प्रतिकूलता अगर... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 84 Share