Deepesh Dwivedi Poetry Writing Challenge 27 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Deepesh Dwivedi 14 Jun 2023 · 1 min read तिरोभाव हमारे नेह के वे पल विसर्जित कर दिए हमने मिलन के वे सुनहरे क्षण तिरोहित कर दिए हमने कभी आहवान करते थे तुम्हारा आगमन तो हो क्षणिक ही सही नैनो... Poetry Writing Challenge 1 95 Share Deepesh Dwivedi 14 Jun 2023 · 1 min read नवजीवन जब चाह नहीं थी जीने की तब तुमने अमृत पिला दिया मर चुकी थी हर इच्छा मेरी सब आशाएं हत्प्राण हुई अंतर की उमंगे शून्य हुई तन की ऊर्जा मृतप्राण... Poetry Writing Challenge 1 208 Share Deepesh Dwivedi 5 Jun 2023 · 1 min read चांदनी के लिए चांदनी के लिए हम चले तो मगर हर कदम पर अमावस के साए मिले फूल खिलते रहे पांत झरते रहे जिंदगानी के दिन यूं गुजरते रहे उम्र चुकने लगी सांस... Poetry Writing Challenge 2 392 Share Deepesh Dwivedi 4 Jun 2023 · 1 min read फिर न आए तुम सुमन उपवन में खिले जब मुस्कुराए तुम बांसुरी सी बज उठी जब गुनगुनाए तुम हाथ में कंगन सुनहले कान में कुंडल रुपहले रूप में इस पहले-पहले मन को भाए तुम... Poetry Writing Challenge 1 81 Share Deepesh Dwivedi 2 Jun 2023 · 1 min read मतवाला प्यास ना मेरी बुझेगी इससे दूर हटा लो अपना प्याला खुशियों का मधु तुम्हें मुबारक हम तो पीते दर्द की हाला इस दुनिया में नहीं दोस्तों मिलता सबको हंसने का... Poetry Writing Challenge 2 271 Share Deepesh Dwivedi 22 May 2023 · 1 min read नयन संवाद नयनो से वार्ता की नई रीति हो गई अंतर में सूक्ष्म भावों की अनुभूति हो गई जीवन में राम आए तो आराम हो गया स्नेह जब उदित हुआ तो प्रीति... Poetry Writing Challenge 1 78 Share Deepesh Dwivedi 17 May 2023 · 1 min read चिर मिलन बांसुरी बजे उठी तुमने क्या गा दिया मानो अमृत घटाओं ने बरसा दिया गुनगुनाते अधर मुस्कुराते नयन मन की वीणा को सहसा ही सरसा दिया जब उठाए नयन झांकियां सज... Poetry Writing Challenge 1 156 Share Deepesh Dwivedi 17 May 2023 · 1 min read प्रसव जब सतरंगी सपना कोई अक्सर मन को छल जाता है जब शहनाई के मधुर स्वरों में कोई मुझे बुलाता है जब दर्द पराया अपना बंद अंतर्मन को मथ देता है... Poetry Writing Challenge 1 127 Share Deepesh Dwivedi 17 May 2023 · 1 min read सिला खुशी की चाह में गम को गले लगाते रहे कोई दुश्मन ना रहा दोस्त यूं बनाते रहे अजब सिला 'चिराग' सादगी का हमको मिला वफा निभाते रहे हम, वो आजमाते... Poetry Writing Challenge 1 56 Share Deepesh Dwivedi 16 May 2023 · 1 min read गजल 3 वो कहते हैं हम तो ख़ुदा हो गए हैं ख़ुदा जाने वो क्या से क्या हो गए हैं कदमबोसी करते नज़र आते थे जो वो लगता है अब आसमां हो... Poetry Writing Challenge 1 165 Share Deepesh Dwivedi 16 May 2023 · 1 min read गजल दो मस्जिद से मयकशों को जो निकाल रहे हैं महफ़िल में वो ख़ुद ही शराब ढाल रहे हैं मुंसिफ़ का ओहदा भी वही चाहने लगे जो ज़ुर्म की ज़िंदा यहाँ मिसाल... Poetry Writing Challenge 1 108 Share Deepesh Dwivedi 16 May 2023 · 1 min read वर्षगांठ अन्वी तुम आई जीवन मे तो मेरा शैशव लौट आया तेरी मीठी किलकारी से मेरा बचपन जागने लगा जो चलने को लाचार था तन वह द्रुत गति से भागने लगा... Poetry Writing Challenge 1 120 Share Deepesh Dwivedi 16 May 2023 · 1 min read मां मां तुम होती तो जीवन के मरुथल में हरियाली होती शीश पे तेरा आंचल होता चाल मेरी मतवाली होती । तेरी ममता के प्रकाश से जीवन जगमग जगमग होता ।... Poetry Writing Challenge 1 73 Share Deepesh Dwivedi 16 May 2023 · 1 min read बोलो वंदे मातरम बलिदानों का दुर्लभ अवसर कहीं न जाए बीत पहन बसंती चोला कवि अब गाओ क्रांति के गीत वंदे मातरम, बोलो, वंदे मातरम केसर की घाटी अपनी,पावन हिमशिखर हमारा स्वर्ण-रजत हिम... Poetry Writing Challenge 1 55 Share Deepesh Dwivedi 16 May 2023 · 1 min read शुभाशीष खुश रहो यूँही सब की खुशी के लिए आने वाली हसीं जिंदगी के लिए सुबह की प्यारी सी रोशनी के लिए रात की मदमधुर चांदनी के लिए अपने माता-पिता की... Poetry Writing Challenge 1 97 Share Deepesh Dwivedi 16 May 2023 · 1 min read छोटी बेटी छुटकी कितनी बड़ी हो गई अपने पैरों खड़ी हो गई । बेटी भी है बेटा भी है मां की परम सहेली है जब तब दादी मां बन जाती यह भी... Poetry Writing Challenge 1 79 Share Deepesh Dwivedi 16 May 2023 · 1 min read अपना प्यारा कानपुर कानपुर कानपुर अपना प्यारा शहर मन में गंगा की उमंग तन में यमुना की लहर कानपुर -कानपुर अपना प्यारा शहर सृष्टि से पूर्व ब्रह्मा की तपस्थली देवयानी -ययाति की प्रेमस्थली... Poetry Writing Challenge 1 110 Share Deepesh Dwivedi 16 May 2023 · 1 min read आत्मजा पुत्री तुमने गोद में आकर मुझको कितना बड़ा बनाया पहले तो मैं साधारण था तुमने ही तो पिता बनाया सारी खुशियां भर दी तुमने आखिर मेरी झोली में लेकिन मैं... Poetry Writing Challenge 1 104 Share Deepesh Dwivedi 16 May 2023 · 1 min read कही अनकही वे शब्द जो मैंने कहे नहीं, वे गीत जो तुमने सुने नहीं तुम मन अधरों से छू देना सारे मुखरित हो जाएंगे कल को यह देह रही न रही पर... Poetry Writing Challenge 1 228 Share Deepesh Dwivedi 16 May 2023 · 1 min read तुम मेरे प्राण मै जर्जर नौका का नाविक और तुम ही मेरा किनारा हो वह कौन अभागा होगा जो सचमुच न हुआ तुम्हारा हो कृशकाय हुआ है तन तो क्या काया तो नश्वर... Poetry Writing Challenge 1 147 Share Deepesh Dwivedi 16 May 2023 · 1 min read प्रेम प्राण तुमने हमको ऐसे देखा बस परिवर्तन हो गया मेरा पतझड़ सावन होगया मेरा,रोदन गायन हो गया मेरा जब नयन मिले फले पहले-पहले मन मे कुछ-कुछ अनुभूति हुई जग समझा हमको... Poetry Writing Challenge 1 146 Share Deepesh Dwivedi 16 May 2023 · 1 min read सहधर्मिणी तुम यदि जीवन मे न मिलते अश्रु दृगों से कभी न ढलते हाँ तुमने मुस्कान मुझे दी लेकिन रोना भी सिखलाया मैं तो कभी न हुआ किसी का सबका होना... Poetry Writing Challenge 1 230 Share Deepesh Dwivedi 16 May 2023 · 1 min read विडंबना क्यों कविता पर पहरे लगते?क्यों गीत को कारावास मिले? क्यों सियाराम सतचिदानंद को अनचाहा बनवास मिले? यह यक्षप्रश्न सा मचल रहा है मन के मानसरोवर में, क्यों हंसों को कालापानी... Poetry Writing Challenge 1 202 Share Deepesh Dwivedi 16 May 2023 · 1 min read गजल एक चाँद फ़िर बढ़ते-बढ़ते घट गया है सफ़र भी मुख्त्सर था कट गया है दरोदीवार क्यों सूने हैं दिल के कोई साया यहाँ से हट गया है जिसे छोड़ आए थे... Poetry Writing Challenge 1 201 Share Deepesh Dwivedi 16 May 2023 · 1 min read आकाश पढ़ा करते हैं बीती घटनाओं का इतिहास पढ़ा करते हैं आजकल रोज़ हम आकाश पढ़ा करते हैं ज़िंदगी दर्द है या दर्द का परिणाम है ये व्यक्ति है आत्मा या देह का ही... Poetry Writing Challenge 2 98 Share Deepesh Dwivedi 16 May 2023 · 1 min read मुक्ति कैसे पाऊँ मन भटकता किस तरह समझाऊँ मैं? माँ!तुम्हारे द्वार कैसे आऊँ मैं? भक्ति है न ज्ञान है न साधना फिर भी करना चाहता आराधना मन को यह संसार चाहे बाँधना बंधनों... Poetry Writing Challenge 1 98 Share Deepesh Dwivedi 15 May 2023 · 1 min read चलाचली यह भी व्यतीत हो जाएंगे ज्यों वे स्वर्णिम क्षण बीत गए सतचिन्मय दिव्य अनुदान मिले अमृतमय सब वरदान मिले परिपूरित शुभ आशीषों से ज्योतिर्मय निशा-विहान मिले कैसे मानूँ घनघोर तिमिर... Poetry Writing Challenge 1 98 Share