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5 Jun 2023 · 1 min read

चांदनी के लिए

चांदनी के लिए हम चले तो मगर
हर कदम पर अमावस के साए मिले

फूल खिलते रहे पांत झरते रहे
जिंदगानी के दिन यूं गुजरते रहे
उम्र चुकने लगी सांस रुकने लगी
ख्वाब फिर भी नए रोज बनते रहे

फूल चुनने को जब हाथ अपने उठे
शूल चुभने को बाहें चढ़ाएं मिले

हम भी चलते गए वो भी चलते गए
अपनी-अपनी दिशाओं में बढ़ते गए
उनको पर्वत मिले हमको सागर मिले
डूबने हम लगे और वो चढ़ते गए

दर्प की धूप में वो निखरते रहे
पीर की हम नदी में नहाए मिले

Language: Hindi
2 Likes · 319 Views
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