Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 May 2023 · 1 min read

नयन संवाद

नयनो से वार्ता की नई रीति हो गई
अंतर में सूक्ष्म भावों की अनुभूति हो गई
जीवन में राम आए तो आराम हो गया
स्नेह जब उदित हुआ तो प्रीति हो गई

कुछ कहो ना कहो तुम भले चुप रहो
नैन तो मन की चुगली किए जाएंगे
जब मिलेंगे लजा कर यह झुक जाएंगे
और खुलेंगे तो खुलकर के मूंद जाएंगे

मौन संवाद वाणी से ज्यादा मुखर
सब बयां कर देती है नजर से नजर
वाणी का घाव होता है गहरा मगर
जान ले लेता है उनका तीरे नजर

Language: Hindi
1 Like · 48 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मात्र नाम नहीं तुम
मात्र नाम नहीं तुम
Mamta Rani
ताउम्र करना पड़े पश्चाताप
ताउम्र करना पड़े पश्चाताप
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
समझौता
समझौता
Sangeeta Beniwal
काश आज चंद्रमा से मुलाकाकत हो जाती!
काश आज चंद्रमा से मुलाकाकत हो जाती!
पूर्वार्थ
विश्वास
विश्वास
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
💐प्रेम कौतुक-483💐
💐प्रेम कौतुक-483💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कविता
कविता
Bodhisatva kastooriya
कबीरा यह मूर्दों का गांव
कबीरा यह मूर्दों का गांव
Shekhar Chandra Mitra
धरती का बेटा गया,
धरती का बेटा गया,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
अंधकार जितना अधिक होगा प्रकाश का प्रभाव भी उसमें उतना गहरा औ
अंधकार जितना अधिक होगा प्रकाश का प्रभाव भी उसमें उतना गहरा औ
Rj Anand Prajapati
जीवन के बुझे हुए चिराग़...!!!
जीवन के बुझे हुए चिराग़...!!!
Jyoti Khari
मैं भी चापलूस बन गया (हास्य कविता)
मैं भी चापलूस बन गया (हास्य कविता)
Dr. Kishan Karigar
खरी - खरी
खरी - खरी
Mamta Singh Devaa
अजीब सी बेताबी है
अजीब सी बेताबी है
शेखर सिंह
घबरा के छोड़ दें
घबरा के छोड़ दें
Dr fauzia Naseem shad
जो कहना है खुल के कह दे....
जो कहना है खुल के कह दे....
Shubham Pandey (S P)
Tea Lover Please Come 🍟☕️
Tea Lover Please Come 🍟☕️
Urmil Suman(श्री)
**तीखी नजरें आर-पार कर बैठे**
**तीखी नजरें आर-पार कर बैठे**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*ग़ज़ल*
*ग़ज़ल*
शेख रहमत अली "बस्तवी"
सितम फिरदौस ना जानो
सितम फिरदौस ना जानो
प्रेमदास वसु सुरेखा
वक्त यूं बीत रहा
वक्त यूं बीत रहा
$úDhÁ MãÚ₹Yá
उसे लगता है कि
उसे लगता है कि
Keshav kishor Kumar
इस बुझी हुई राख में तमाम राज बाकी है
इस बुझी हुई राख में तमाम राज बाकी है
कवि दीपक बवेजा
तेरे इंतज़ार में
तेरे इंतज़ार में
Surinder blackpen
इक तेरा ही हक है।
इक तेरा ही हक है।
Taj Mohammad
बाबूजी
बाबूजी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
⭕ !! आस्था !!⭕
⭕ !! आस्था !!⭕
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
■उलाहना■
■उलाहना■
*Author प्रणय प्रभात*
*शाकाहारी भोज, रोज सब सज्जन खाओ (कुंडलिया)*
*शाकाहारी भोज, रोज सब सज्जन खाओ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मुकद्दर से ज्यादा
मुकद्दर से ज्यादा
rajesh Purohit
Loading...