साहित्य वाचस्पति- श्री किशन टण्डन क्रान्ति द्वारा रचित द्वितीय उपन्यास : 'दुर्दशा' में भारतवर्ष में कृषकों द्वारा की जा रही अनवरत आत्महत्याओं के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने का प्रयास... Read more
साहित्य वाचस्पति- श्री किशन टण्डन क्रान्ति द्वारा रचित द्वितीय उपन्यास : ‘दुर्दशा’ में भारतवर्ष में कृषकों द्वारा की जा रही अनवरत आत्महत्याओं के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने का प्रयास किया गया है। इसमें कृषि की दशा, दिशा एवं उसके समक्ष निरन्तर उपस्थित होने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है। कृषक हितों के संरक्षण के दृष्टिकोण से भी यह एक मार्गदर्शक कृति है। इसमें नायक हरीश और कामायनी के अटूट प्रेम को भी प्रदर्शित किया गया है।