Best ghazals of Shivkumar Bilagrami
शिवकुमार बिलगरामी की बेहतरीन ग़ज़लें
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ग़ज़ल – एक
हमदर्द कैसे – कैसे हमको सता रहे हैं
कांटों की नोक से जो मरहम लगा रहे हैं
मैं भी समझ रहा हूं मजबूरियों को उनकी
दिल का नहीं है रिश्ता फिर भी निभा रहे हैं
भटका हुआ मुसाफ़िर अब रास्ता न पूछे
कुछ लोग हैं यहां जो सबको चला रहे हैं
पलकें चढ़ी ये आंखें जो नींद को तरसतीं
सपने मगर किसी के इनको जगा रहे हैं
मग़रूर आप क्यों हैं हर बात में नहीं क्यों
अब आप फ़ायदा कुछ बेजा उठा रहे हैं
ग़ज़ल -2
मुलाक़ातें ज़रूरी हैं अगर रिश्ते निभाने हैं
नहीं तो ख़ास रिश्ते भी किसी दिन टूट जाने हैं
ज़रूरी काम हैं इतने कि फुर्सत ही नहीं मिलती
तुम्हारे ये बहाने तो न मिलने के बहाने हैं
अभी से मत उजाड़ो तुम गुलों के इन बग़ीचों को
अभी तो इन बग़ीचों के गुलों में रंग आने हैं
गिले-शिकवे तुम्हें भी हैं, गिले-शिकवे हमें भी हैं
हमें अपने दिलों से अब गिले-शिकवे मिटाने हैं
अभी से मत कहो तुम अलविदा,अच्छा नहीं लगता
अभी हमको मुहब्बत के हज़ारों गीत गाने हैं
ग़ज़ल – तीन
अगर होती ख़ुशी तुमको तो क्या तुमको न ग़म होते
ख़ुशी होती तो ख़ुश होते ख़ुशी से ग़म न कम होते
सितमगर को कहाँ परवा है अपने की, पराए की
अगर हम पर नहीं होते तो तुम पर ये सितम होते
तेरे जल्वों से ख़ुश हूँ मैं, ख़ुशी दुगुनी ये होती तब
अगर मुझ पर हक़ीक़त में तेरे रहम-ओ-करम होते
भरम में अब पड़ा हूँ मैं कि क्या तुम भी न अपने हो
अगर हँसकर मिले होते तो क्योंकर ये भरम होते
चलो अच्छा हुआ यह तो यहाँ कुछ लोग अपने हैं
अगर अपने न होते तुम बड़ी मुश्किल में हम होते
ग़ज़ल – चार
घर उजड़ने का न दिल में मलाल तुम रखना
दूर जाते हो तो अपना ख़याल तुम रखना
मेरी दुनिया का है क्या ये बसी बसी न बसी
अपनी दुनिया की मगर देखभाल तुम रखना
तुमको याद आएंगे सबके बुझे बुझे चेहरे
अपने चेहरे को मगर बाजमाल तुम रखना
किसलिए छोड़ के आए हो सरजमीं अपनी
दिल के कोने में कहीं ये सवाल तुम रखना
— शिवकुमार बिलगरामी