(6) गरीब का नया साल
कहते हैं लोग कि आज है नया साल,
पर एक गरीब के लिए वही पुराना ख्याल।
कहां से आएगी तीन वक्त की रोटी,
फिर उठानी पड़ेगी किसी की पतल झूठी।
फिर याद आ गया के आ गई सर्दी,
पहनने के लिए तो नहीं है कोई वर्दी।
पहनने को न मिला जब गरीब को कोई कपड़ा,
तो फिर सर्दी और गरीब के बीच है गया झगड़ा।
जीत गई सर्दी उस गरीब से,
क्योंकि वो हार गया अपने नसीब से।
तोड़ दिया फुटपाथ पर दम उसने,
क्योंकि वो न सजो पाया था नये साल के सपने।