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14 Jun 2023 · 1 min read

51. लाशों का मंजर

चारों तरफ देख रहा हूँ,
मैं लाशों का मंजर ।
चिख – पुकार मची हुई है,
आर्यावर्त के अंदर ।।

ये चिख – पुकार सब सुन सुनकर,
गड़ चुका है मेरे सीने में भी खंजर ।
चारो तरफ देख रहा हूँ,
मैं लाशों का मंजर ।।

एक शोला सुलग रहा है,
मेरे भी दिल के अंदर ।
कब ये ज्वालामुखी फटेगी,
यह ना जाने सिकंदर ।।

यह कोहराम मचाया है,
कुछ भालू और बंदर ।
चारो तरफ देख रहा हूँ,
मैं लाशों का मंजर ॥

कवि-मन मोहन कृष्ण
तारीख – 18/5/2020
समय – 11:00 (रात्रि)

Language: Hindi
95 Views
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