4917.*पूर्णिका*
4917.*पूर्णिका*
🌷 चाहत कितनी शब्द नहीं 🌷
22 22 212
चाहत कितनी शब्द नहीं ।
मुहब्बत कितनी शब्द नहीं ।।
हरदम बस तुम खुश रहो।
चाहा कितनी शब्द नहीं ।।
फूलों सा यूं दिल खिले।
खुशबू कितनी शब्द नहीं ।।
डूबोगे जब उतर कर ।
गहरी कितनी शब्द नहीं ।।
समझाया खेदू तुम्हें ।
जानम कितनी शब्द नहीं ।।
………✍ डॉ.खेदू भारती “सत्येश”
09-11-2024शनिवार