4649.*पूर्णिका*
4649.*पूर्णिका*
🌷 निखर जाते क्या नहीं 🌷
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निखर जाते क्या नहीं ।
बिखर जाते क्या नहीं ।।
देख बिगड़े बोल भी ।
सुधर जाते क्या नहीं ।।
आदमी चूहा यहाँ ।
कुतर जाते क्या नहीं ।।
महकती है जिंदगी ।
कसर जाते क्या नहीं ।।
थाम खेदू हाथ ये ।
असर जाते क्या नहीं ।।
…..✍️ डॉ. खेदू भारती। “सत्येश “
15-10-2024 मंगलवार