34. मानवता की आवाज
गरीब, मजदूर, बेबस, लाचार,
पिछड़े, किसानों, के लिए सरकार से,
हम कल भी लड़ते थे,
हम आज भी लड़ते हैं ।।
जबतक साँसे चलेंगी मेरी,
ये जंग हमारी जारी रहेगी ।
हम आज भी लड़ते हैं,
हम आगे भी लड़ते रहेंगे ।
इनकी आवाजों को सदा, हम यूँ ही उठाते रहेंगे ।।
आओ खायें शपथ मानवता की,
इनकी आवाजों को दबने ना देंगे ।
इसका मजाक उड़ाने वाले को, हम छोड़ेंगे नहीं,
चाहे वो कैसा भी हो दबंग ।
दिखा देंगे उन्हें भी, हम अपना भी रंग ।।
सभी को मालूम है मेरे बारे में कि,
हम तुफानों के पिता,
हम बाजों के भी बाज हैं ।
हम मानवता के आवाज थे,
हम मानवता के आवाज हैं ।।
कवि – मन मोहन कृष्ण
तारीख – 07/05/2020 (गुरुवार)
समय – 09 : 55 ( सुबह )