3212.*पूर्णिका*
3212.*पूर्णिका*
🌷 ठुकरा के हमें जाओगे🌷
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ठुकरा के हमें जाओगे।
सच तुम रोज पछताओगे ।।
दुनिया आज देखे क्या है ।
कुछ भी जान ना पाओगे।।
मंजिल की तलाश यहाँ है ।
राही देखते जाओगे।।
ना है त्याग समर्पण थोड़ा ।
अपनी जान गंवाओगे ।।
यूं दर्द लाख झेले खेदू।
साथी साथ बढ़ जाओगे ।।
…….✍ डॉ. खेदू भारती “सत्येश”
30-03-2024शनिवार