3205.*पूर्णिका*
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/ca93ec59d5dd2941d399aac818772a8a_f9a10266fa1abc11d656bfea191e34e0_600.jpg)
3205.*पूर्णिका*
🌷🌷 *अपनों में तुम *🌷🌷
22 22
अपनों में तुम ।
सपनों में तुम ।।
महके बगियां ।
सुमनों में तुम ।।
यूं कदम बढ़े ।
लगनों में तुम ।।
मंजिल पाते ।
विधुनों में तुम ।।
साजन खेदू।
सजनों में तुम ।।
……….✍ डॉ. खेदू भारती “सत्येश”
29-03-2024शुक्रवार