3149.*पूर्णिका*
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/ece9ab2c6b797643f98bdb3256e0abd7_f9d0af363823e50e982ae8e74e541a01_600.jpg)
3149.*पूर्णिका*
🌷 जीवन का आधार है कोई🌷
22 22 212 22
जीवन का आधार है कोई।
समझो तो लाचार है कोई।।
दिल है बेईमान क्या समझे।
बिकता यूं बाजार है कोई।।
बहके बहके ये जमाना है ।
खुद का खुद सरकार है कोई।।
कागज के ये फूल खुशबू दे।
देख यहाँ करतार है कोई ।।
नेक इरादा रख चले खेदू।
करता बेड़ापार है कोई।।
………….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
20-03-2024बुधवार