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14 Jun 2023 · 1 min read

10-भुलाकर जात-मज़हब आओ हम इंसान बन जाएँ

उदासी से भरे चहरों की हम मुस्कान बन जाएँ
घृणा के दौर में भी प्रेम की पहचान बन जाएँ
हमारे देश की मिट्टी किसी से भेद कब की है
भुलाकर जात-मज़हब आओ हम इंसान बन जाएँ
~अजय कुमार ‘विमल’

Language: Hindi
187 Views
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