2667.*पूर्णिका*
2667.*पूर्णिका*
अपना हरदम साथ निभाता रहा
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अपना हरदम साथ निभाता रहा।
कोई आता कोई जाता रहा ।।
देखो सबक सिखाती ये जिंदगी।
रोकर खुद ही जग हँसाता रहा ।।
राहों पर यूं मंजिल मिलती नहीं ।
जीते हारे दांव लगाता रहा।।
तारे तोड़ जमीं पर लाते कभी।
हैरतबाज यही बतलाता रहा ।।
चलते खेदू दिल की आवाज सुन ।
सच आईना रोज दिखाता रहा।।
……….✍डॉ .खेदू भारती “सत्येश”
01-11-23 बुधवार