रखें बड़े घर में सदा, मधुर सरल व्यवहार।
काश तु मेरे साथ खड़ा होता
तू
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
मेरा गांव अब उदास रहता है
स्वागत है इस नूतन का यह वर्ष सदा सुखदायक हो।
बोट डालणा फरज निभाणा -अरविंद भारद्वाज
ग़ज़ल _ शरारत जोश में पुरज़ोर।
*वरद हस्त सिर पर धरो*..सरस्वती वंदना
*ट्रस्टीशिप : सनातन वैराग्य दर्शन का कालजयी विचार*
जब रंग हजारों फैले थे,उसके कपड़े मटमैले थे।
हमने उसको देखा, नजरों ने कुछ और देखा,,
लड़की किसी को काबिल बना गई तो किसी को कालिख लगा गई।
पतझड़ के मौसम हो तो पेड़ों को संभलना पड़ता है