नौकरी न मिलने पर अपने आप को अयोग्य वह समझते हैं जिनके अंदर ख
*देह बनाऊॅं धाम अयोध्या, मन में बसते राम हों (गीत)*
आज यूँ ही कुछ सादगी लिख रही हूँ,
जो रास्ते हमें चलना सीखाते हैं.....
ग़ज़ल (चलो आ गयी हूँ मैं तुम को मनाने)
काफ़ी कुछ लिखकर मिटा दिया गया ;
दिल का हर रोम रोम धड़कता है,
23/129.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
तू अपने दिल का गुबार कहता है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
इंडिया ने परचम लहराया दुनियां में बेकार गया।
🌹 *गुरु चरणों की धूल*🌹
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
एक महिला की उमर और उसकी प्रजनन दर उसके शारीरिक बनावट से साफ