245. “आ मिलके चलें”
हिन्दी काव्य-रचना संख्या: 245.
शीर्षक: “आ मिलके चलें”
(रविवार, 16 दिसम्बर 2007)
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आ मिलके चलें
खुशियों के देश में
कि-
गम ना कोई सताए अब।
बरसे घटाएं
सावन आए
आकाश पुष्प बरसाए अब।।
तूं मुस्काए तो ऐसा लगे
रिमझिम गीत सुनाए अब।
तूं लब खोले
तो ऐसा लगे
कोयल कूक मचाए अब।।
तूं साथ चले
तेरी ये पायल
मेरी धड़कन बन जाए अब।
आ मिलके चलें
खुशियों के देश में
कि-
गम ना कोई सताए अब।।
-सुनील सैनी “सीना”
राम नगर, रोहतक रोड़, जीन्द (हरियाणा)-126102.