2386.पूर्णिका
2386.पूर्णिका
🌹ख्यालों में डूबा रहता है 🌹
22 22 22 22
ख्यालों में डूबा रहता है ।
काम यहाँ रूका रहता है ।।
नादां बनता आगे बढ़ता।
मन टूटा फूटा रहता है ।।
कुछ करने की औकात नहीं ।
बस हरदम रूठा रहता है ।।
करते फूलों सा हरकत भी।
काँटों से कूटा रहता है ।।
दीवाने बनते खेदू यूं ।
अपनों का छूटा रहता है ।।
………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
8-7-2023शनिवार