Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jan 2024 · 1 min read

2897.*पूर्णिका*

2897.*पूर्णिका*
🌷 समझे नहीं अपना हमें
2212 2212
समझे नहीं अपना हमें ।
जाना नहीं अपना हमें ।।
खुशबू तुझे देते रहे ।
माना नहीं अपना हमें ।।
तकलीफ है साझा किया।
रखते नहीं अपना हमें ।।
सच साथ हैं दुनिया कहाँ ।
कहते नहीं अपना हमें ।।
कोशिश करें खेदू यहाँ ।
तू मान ले अपना हमें ।।
……..✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
05-01-2024शुक्रवार

84 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
खारिज़ करने के तर्क / मुसाफ़िर बैठा
खारिज़ करने के तर्क / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
हे कृतघ्न मानव!
हे कृतघ्न मानव!
Vishnu Prasad 'panchotiya'
ना समझ आया
ना समझ आया
Dinesh Kumar Gangwar
सौंदर्य मां वसुधा की
सौंदर्य मां वसुधा की
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
देश भक्त का अंतिम दिन
देश भक्त का अंतिम दिन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मेरी मुस्कान भी, अब नागवार है लगे उनको,
मेरी मुस्कान भी, अब नागवार है लगे उनको,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
2635.पूर्णिका
2635.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
बचपन का प्यार
बचपन का प्यार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
छुड़ा नहीं सकती मुझसे दामन कभी तू
छुड़ा नहीं सकती मुझसे दामन कभी तू
gurudeenverma198
💜💠💠💠💜💠💠💠💜
💜💠💠💠💜💠💠💠💜
Manoj Kushwaha PS
"सूत्र"
Dr. Kishan tandon kranti
बड़ा गहरा रिश्ता है जनाब
बड़ा गहरा रिश्ता है जनाब
शेखर सिंह
काव्य
काव्य
साहित्य गौरव
मायने रखता है
मायने रखता है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
*रिश्ते भैया दूज के, सबसे अधिक पवित्र (कुंडलिया)*
*रिश्ते भैया दूज के, सबसे अधिक पवित्र (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
'Here's the tale of Aadhik maas..' (A gold winning poem)
'Here's the tale of Aadhik maas..' (A gold winning poem)
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Tum bina bole hi sab kah gye ,
Tum bina bole hi sab kah gye ,
Sakshi Tripathi
भरी रंग से जिंदगी, कह होली त्योहार।
भरी रंग से जिंदगी, कह होली त्योहार।
Suryakant Dwivedi
कलम के सिपाही
कलम के सिपाही
Pt. Brajesh Kumar Nayak
शक्कर में ही घोलिए,
शक्कर में ही घोलिए,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मकसद ......!
मकसद ......!
Sangeeta Beniwal
कुछ अपने रूठे,कुछ सपने टूटे,कुछ ख़्वाब अधूरे रहे गए,
कुछ अपने रूठे,कुछ सपने टूटे,कुछ ख़्वाब अधूरे रहे गए,
Vishal babu (vishu)
असंतुष्ट और चुगलखोर व्यक्ति
असंतुष्ट और चुगलखोर व्यक्ति
Dr.Rashmi Mishra
मरने वालों का तो करते है सब ही खयाल
मरने वालों का तो करते है सब ही खयाल
shabina. Naaz
पुलिस बनाम लोकतंत्र (व्यंग्य) +रमेशराज
पुलिस बनाम लोकतंत्र (व्यंग्य) +रमेशराज
कवि रमेशराज
ये आकांक्षाओं की श्रृंखला।
ये आकांक्षाओं की श्रृंखला।
Manisha Manjari
जीवन को जीतती हैं
जीवन को जीतती हैं
Dr fauzia Naseem shad
* सताना नहीं *
* सताना नहीं *
surenderpal vaidya
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
Loading...