छुड़ा नहीं सकती मुझसे दामन कभी तू
छुड़ा नहीं सकती मुझसे, दामन कभी तू।
आना होगा एक दिन, मेरी गिरफ्त में तुझको।।
मुझे चाहिए तुझसे, जवाब मेरे सवालों का।
मिलेगा मेरा साया, सच हर जगह तुझको।।
छुड़ा नहीं सकती मुझसे———————।।
मुझपे ऐसा इल्जाम, कभी मत लगाना।
तेरा कसूर है, मुझसे से ही ज्यादा।।
मानता हूँ मुझसे भी, हुई है खताऐं।
उनमें रहा है हिस्सा, तेरा भी आधा।।
निभाई नहीं है आज, किसने वफ़ा अपनी।
वफ़ा मुझसे होना होगा, एक दिन तुझको।।
छुड़ा नहीं सकती मुझसे———————–।।
यह बात मुझसे पहले, क्यों नहीं तुमने कही।
लगा रखा है दिल, किसी से पहले तुमने।।
मना रखी थी उसके संग, रंग-रैलियां।
मेरे साथ फिर यह क्यों, खेल खेला तुमने।।
तोड़ दिया मेरा दिल, मानकर खिलौना क्यों।
मुझसे जोड़ना होगा, एक दिन दिल तुझको।।
छुड़ा नहीं सकती मुझसे———————।।
बहाया है अपना लहू , जैसे तुम्हारे लिए।
बहाये हैं मैंने आँसू , जैसे तुम्हारे लिए।।
तुझको भी मेरे लिए, अश्क बहाने होंगे।
सजाने होंगे ख्वाब, तुझको भी मेरे लिए।।
मरना होगा तुझको भी या तो, मेरे संग में।
जीना होगा या फिर, मेरे साथ तुझको।।
छुड़ा नहीं सकती मुझसे——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला-बारां(राजस्थान)