2324.पूर्णिका
2324.पूर्णिका
🌹नासमझों को समझाए क्या🌹
22 22 22 22
खुद ही मसला सुलझाए क्या ।
नासमझों को समझाए क्या ।।
दौर अजब है बदले बदले ।
जब प्यार नहीं समझाए क्या।।
लोग तमाशा करते कितना ।
उनकों भी कुछ समझाए क्या।।
रोज गुलों से महके गुलशन ।
दुनिया सुंदर समझाए क्या।।
साथ निभाते हरदम खेदू।
साथी बनके समझाए क्या।।
…………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
28-5-2023रविवार