2314.पूर्णिका
2314.पूर्णिका
🌷बात मानने की नहीं मान जाते हैं 🌷
212 122 122 1222
बात मानने की नहीं मान जाते हैं ।
लोग जानते भी नहीं जान जाते हैं ।।
आज जिंदगी की कहानी कहे कोई।
मौत तो यहाँ कुछ नहीं शान जाते हैं ।।
जीत हार अपनी लिखी खुद किस्मत देखो।
सच महान सीना नहीं तान जाते हैं ।।
यूं रचे बसे प्यार हरदम बहे धारा ।
राह पे कहीं भी नहीं ध्यान जाते हैं ।।
हँसते न रोते कभी हम जरा खेदू ।
बस करें गुलामी नहीं कान जाते हैं ।।
…………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
20-5-2023शनिवार