2 अक्टूबर ,दो बन्ध
अहिंसा का पुजारी ,सत्य व्रत का धारी।
गांधी महामानव , का जन्म दिवस है।
वेश जिसका धोती, न माला कोई मोती।
साधारण सी लाठी , यही कुछ बस है।
अचूक हड़ताल , आयुध था कमाल,
माँ भारती का लाल, गरीब सर्वस है।
लम्बा पतला गात , जैसे पीपल पात,
लगता कम्पवात , काया नाम बस है।
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लालो का था वो लाल ,बहादुर कमाल।
मिट गया खुद ही , झुका नही माथ है।
भारतीय का भाल ,रखा पूरा सम्भाल,
शास्त्री जी के भारत ,पूरा पूरा साथ है।
नाटा कद मानव , जान फूंकता नव।
भारत के सैनिक , जोड़ते जो हाथ है।
जयति जवान की ,जयति किसान की
कहने वाले प्यारे ,ललिता के नाथ है।
कलम घिसाई
नोट– इस वर्णिक छन्द का शिल्प 8,8,8,7 नहीं है ,इसका शिल्प 7,7,7,7 है।