14) अक्सर सोचती हूँ…
तन्हाई तड़पाने लगती है जब मुझे,
रात काली नागिन सी डसने लगती है जब मुझे,
तेरे दीदार की हसरत लिए
अक्सर सोचती हूँ मैं….
इक हवा का झौंका होती मैं,
हमेशा तेरे अंग-संग रहती मैं।
अपने प्यार की खुशबू से
मुअत्तर कर देती तेरी तन्हाई,
कभी डसती न, तड़पाती न मेरी तरह
तुझे यह नामुराद तन्हाई।
या फिर इक पंछी ही होती मैं,
हमेशा तेरे साथ उड़ती,
तेरा साया बन कर तुझे सहारा देती।
मगर अब बेदर्द ज़माने के कारण
सिर्फ दुआ ही कर सकती हूँ मैं।
यही इक नेमत है जो संभाले हुए हूँ
सिर्फ तेरे ही लिए मैं।
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नेहा शर्मा ‘नेह’