?गज़ल?
??गज़ल??
बह्र-1222/1222/1222/1222
बिना कलियों के फूलों का कहाँ आधार होता है
मिले महबूब का दीदार तब ही प्यार होता है//1
दुवाएँ जो दिलों से गर निकल आएँ असर करती
तभी प्यारे किसी दिलदार का इसरार होता है//2
तुम्हें जाना कहाँ है ये समझ लो तो चलो हँसके
बिना सोचे चले पैरों तले ग़म ख़ार होता है//3
मेरी ख़ुशियाँ जलाए या रखे दिल में हमें कोई
हमें सौदा मगर दिल का सदा इक़रार होता है//4
समझ भूलो यहाँ सबकी निभाओ तुम मुहब्बत को
यहाँ फ़ितरत से हर इंसान ही लाचार होता है//5
तुम्हें चाहूँ तुम्हें पूजूँ तुम्हें दिल में छिपालूँ मैं
नज़र से दिल में उतरे जो दिले इज़हार होता है//6
ज़माने में कहीं अपना मिले ‘प्रीतम’ लगा सीने
यहाँ क़िस्मत मिला दीदार तो इकबार होता है//7
??आर.एस.’प्रीतम’??