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23 Apr 2021 · 1 min read

?गज़ल?

??गज़ल??
बह्र-1222 1222 122

हज़ारों लोग दुनिया में मिलेंगे
मगर दिल चंद अपने हो सकेंगे//1

मिलाने से नहीं मिलते कभी दिल
मिलें जो बेख़बर लंबे चलेंगे//2

बहारें प्रेम का पैग़ाम लाएँ
दिलेगुलशन में गुल तो फिर खिलेंगे//3

जलाओ मत नफ़रते आग यारों
यही साये तुम्हें वरना छलेंगे//4

मिटाने से बचाना ख़ूब अच्छा
तभी रूहों में पर चर्चे बढ़ेंगे//5

चले हस्ती मिटाने ग़ैर की जो
यहीं रावण सरीखे भी मिटेंगे//6

यहाँ औक़ात पल में भूल जाते
ज्यों सत्तारूढ़ ये ही बस रहेंगे//7

कहो कम तुम करो ज़्यादा इनायत
तभी तमगे मुहब्बत के जचेंगे//8

कभी ‘प्रीतम’ ग़रीबी को पढ़ो तुम
कलेजे डेढ़ हाथों के हिलेंगे//9

??आर.एस.’प्रीतम’??

1 Like · 1 Comment · 279 Views
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