#गीत//कहो ठीक क्या हाल है
#गीत-‘कहो ठीक क्या हाल है?
काँटे बोकर फूल बिछाएँ,
बात-बात में जाल है।
दर्द दिया फिर पूछ रहे हैं,
कहो ठीक क्या हाल है?
छत टूटी है आँगन सूना,
तेज़ बड़ी बरसात है।
बादल-बिजली दोनों झेड़ें,
रोये हर ज़ज्बात है।।
इक जुगनू हाथ नहीं देते,
मुख पर सूर्य मिसाल है।
दर्द दिया फिर पूछ रहे हैं,
कहो ठीक क्या हाल है?
गगरी खाली नगरी जाली,
लोग रहे हैं ओज में।
कलह भेद के गहने पहना,
नचा रहे सुख खोज में।
वादों के सपने रंगीले,
रुखसत रोटी-दाल है।
दर्द दिया फिर पूछ रहे हैं,
कहो ठीक क्या हाल है?
भ्रम बीमारी छोड़े किसको?
चोटी पल्लव मूल में।
अहसास अंश का होता तब,
टूट मिले जब धूल में।।
सीख सभी को देता आया,
ये वक़्त बेमिसाल है।
दर्द दिया फिर पूछ रहे हैं,
कहो ठीक क्या हाल है?
#आर.एस.’प्रीतम’