?? गौ वंदन ??
वन्दे गौ मातरम्!!!
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“शंकर और विष्णु बसत जाके सींगन में,
उदर विशाल कार्तिकेय कौ निवास है।
मस्तक में ब्रह्मा ललाट बसे रूद्र जाके,
कानन की कोर बसे अश्विनी कुमार है।
नेत्र बसे सूर्य-चन्द्र,दंतन् में गरुण बसे,
जिव्हा में साक्षात् सरस्वती वास है।
गंगाजल जानि गौमूत्र कौ प्रयोग करौ,
गाय तौ तेतीस कोटि देवतान की आस है।”
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गौदुग्ध अमृत है आज तीनों लोकन में,
गोबर कूँ मानि लक्ष्मीजी कौ वरदान है।
गौमूत्र काटि देत रोग हो असाध्य चाहे,
दूध-दही-घी मानों औषधि समान है।
पञ्चगव्य खाय कटें भवफन्द प्राणी के,
गाय नाम जननि जाकी देवन सी कानि है।
गऊअन कौ प्राणधन प्यारौ गोविन्द कहै,
“गऊ सेवा करौ,तीर्थ उत्तम-महान है।
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कलयुग कौ साक्षात् देव गऊ माताजी,
गऊ सेवा महापुण्य भव-पातकहारी है।
घर-घर में गाय-गौशाला होय गाम-गाम,
पीढ़ी दर पीढ़ी डारौ रीत हितकारी है।
जननी सी जन्मभूमि-गाय जन्मभूमि सी,
भेद कछु नाय जे प्रकृति सुखकारी है।
सुनौ आर्यश्रेष्ठ! करौ ग्रहण तेज सन्तन कौ,
गौ सेवा जन-जन में करें गिरधारी है।
?? वंदे गौमातरम् ??
©तेजवीर सिंह “तेज”✍