?श्रद्धांजलि मेरे मित्र?
??श्रद्धांजलि मेरे मित्र??
तुम बिन बताए कहाँ चले गए मेरे मित्र,
यादों के गलियारों में झांक रहे तुम्हारे छायाचित्र।
जीवन यात्रा में सांझे किए थे ना जाने कितने पल,
वह अनुभव जो हमने बांटे थे याद बहुत आएंगे मेरे मित्र।
रुक गए बहुत से अक्षर शब्द बनते बनते,
तुम कर गए नि:शब्द मुझे मेरे मित्र।
वट वृक्ष की अभी नवीन थी कई शाखाएं,
बसंत ऋतु के आने से पहले ही तुम चले गए मेरे मित्र।
हां सुकून में हूँ स्मरण करके तुम्हारा असाधारण व्यक्तित्व,
जो कोई कर ना सका वो भी तुम कर गए मेरे मित्र।
✍©अरुणा डोगरा शर्मा
पंजाब