???हनुमत सहाय करो अब मेरी???
हनुमत सहाय करो अब मेरी,
जन्म बीति रह्यो मेरो भगवन कब लो लगाऊँ टेरी,
अँखियाँ बरसे पुनि-पुनि मेरी हरहुँ विपति प्रभु सिगरी,
हाथ पसारूँ अरु का करि डारु परो रहो प्रभु देहरी,
लंकिनी कूँ मुठिका देइ मारी, निरशिया फिरहुँ न रिगरी,
सीताराम जपूँ अन्तः मन में, तबहुँ न करी कदरी,
वेगि हरहुँ प्रभु दुःख ‘अभिषेक’ को, तब बात बनहि तुम्हरी,
ऐसे कब लो जिअऊ में हनुमत,अब कृपा करहुँ सुघरी।।1।।
%%%अभिषेक पाराशर%%%