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4 Jun 2022 · 1 min read

💐अनित्यस्य आकर्षणं एव नित्यस्य प्राप्तयां बाधक:💐

सत्-चित्-आनन्दस्य इच्छा सर्वेस्मिन सन्ति।अतः सर्वे इच्छन्ति यत् वयं सदा निवसाम: कदापि अपरिचित: न स्याम च सर्वदा सुखी भवाम:।एतेन सिद्ध भवति यत् एषः इच्छा पूर्णं भवति, विनाशशील: न।सांसारिक: वस्तूनां प्राप्तया पूर्णता न भवति।अस्माकं क्षीणताया: अनुभवः भवति तु एतेन सिद्ध: भवति यत् के चित् पूर्णं वस्तु।एषः पूर्णं वस्तु परमात्मा।तं प्राप्ति: पश्चात् केचित् अपि करणं, ज्ञानं तथा प्राप्ति: शेष: न भवति।यदि वयं भोग: इच्छति तु एतस्य जात्या: कश्चित् जड़ अवस्था अस्माकं अन्तः भागे स्थितः।यदि वयं मोक्षम् इच्छाम: तु एतस्य जात्या: कश्चित् लघु अवस्था अस्माकं अन्तः भागे स्थितः निश्चितं।अस्माकं अन्तकरणे वस्तुद्वयम् स्त:।एतं तादात्म्य वा चिज्जड़ग्रन्थि वा कथयति।अनित्यस्य आकर्षणं एव नित्यस्य प्राप्तयां बाधक:।
@अभिषेक: पाराशरः

Language: Sanskrit
Tag: Quotation
147 Views
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