??विश्व धरा के जन जन को दीपोत्सव मंगलमय हो ??
धवल प्रकाश विखेरे दीपक धरनी पर,
अलंकार ज्यों शोभित होते तरुणी पर,
नव तरुणी सी शोभा लेकर अपनी पावन संस्कृति हो,
विश्व धरा के जन जन को दीपोत्सव मंगलमय हो ।।1।।
ज्ञान ज्योति हरे अज्ञानतम हृदय आँगन पर,
ज्यों कलरव रत पक्षी मन को हरते तरुवर की टहनी पर,
नव टहनी सी शोभा लेकर,अपनी पावन संस्कृति हो,
विश्व धरा के जन जन को दीपोत्सव मंगलमय हो ।।2।।
सन्त दरश का हो प्रभाव मानव मन पर,
नव साधक ज्यों विश्वास जमाता भगती पर,
ईश भगति सी शोभा लेकरअपनी पावन संस्कृति हो,
विश्व धरा के जन जन को दीपोत्सव मंगलमय हो ।।3।।
श्वेत तुहिन चमकती गिरिराज हिमालय पर,
योद्धा की तलवार चमकती ज्यों रण आँगन पर,
रण आँगन सी क्रान्ति लिए,अपनी पावन संस्कृति हो,
विश्व धरा के जन जन को दीपोत्सव मंगलमय हो ।।4।।
गुरु से जुड़ने पर सत जुड़ जाता जीवन पर,
ज्यों आत्मज्ञान हिय में उपजै गीता गायन पर,
गीता गायन के आधारमयीअपनी पावन संस्कृति हो,
विश्व धरा के जन जन को दीपोत्सव मंगलमय हो ।।5।।
***अभिषेक पाराशर***