【◆जब सितारे गर्दिश में हों◆】
जब सितारे गर्दिश में हो
तो चुभ जाते हैं फूल
साफ़ पड़े कमरे में भी
लग जाती है धूल।
हट जाते हैं सर से
अपनों के भी सहारे।
किनारे में आकर भी डूब
जाती हैं पतवारें।
सुबह भी एक पल में
शाम में बदल जाती है
जब सितारे गर्दिश पे होते हैं
तो अज़ीज़ों को भी
हमारी बात खल जाती है।
जब सितारे गर्दिश पे हों
तो छोटे गड्ढे भी गहरे
कुएँ में बदल जाते हैं।
देख के चलने में भी
बुरी तरह फंस जाते हैं।
हल्की हवा के झोंके से भी
दरख्त उखड़ जाया करते हैं।
जब सितारे गर्दिश में होते हैं
तो लहरों से भी पहाड़ फट
जाया करते
कवि-वि के विराज़