✍️मेरी शख़्सियत✍️
✍️मेरी शख़्सियत✍️
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खुद को पूरा करने की कोशिश अधूरी रह गयी
बहोत करीब पहुँचकर मंझिल की दुरी रह गयी
यहाँ बड़े ही अज़ीब तरीके है सच्चाई परखने के
झूठी दुनियां अपनी जुबाँ पे कहाँ खरी रह गयी
इस अंधी दौड़ के शर्त में हरेक शख्स शामिल है
और मेरी शख़्सियत इस भीड़ से घिरी रह गयी
यहाँ हर कोई आसमाँ को छूने के फ़िराक में है
पर ज़मी से फासले देख के आँखे डरी रह गयी
किस्मत के इंतेज़ार में बैठे थे वो थकहार गये है
मगर अपनी जिंदगी के साथ जंग जारी रह गयी
‘अशांत’ कही रक़ीब है पीछे छोड़ने की ज़िद में
मेरे हौसले के आगे ज़िद हारी की हारी रह गयी
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✍️”अशांत”शेखर✍️
18/07/2022